
टुकड़ों से तिरंगे तक: रियासतों के एकीकरण और राज्यों के पुनर्गठन की रोमांचक कहानी
“एक ध्वज के नीचे, एक राष्ट्र के नाम पर, सैकड़ों रियासतों ने अपने-अपने झंडे झुका दिए — यही था भारत का असली जन्म।”
भारत – एक विचार, या एक भूगोल?
जब 15 अगस्त 1947 को देश आज़ाद हुआ, तो लोगों ने सोचा कि अब स्वतंत्रता आ गई, अब भारत एकजुट होगा। लेकिन हकीकत इससे बिल्कुल उलट थी। भारत भूगोल से तो एक दिखता था, पर असल में वह 552 छोटे-बड़े टुकड़ों में बंटा हुआ एक अधूरा सपना था — जिन्हें ‘देशी रियासतें’ कहा जाता था। हर रियासत का अपना राजा, अपनी सेना, अपने नियम और अपनी सनक थी। कोई “स्वतंत्र राष्ट्र” कहलाने की जिद पर अड़ा था, तो कोई पाकिस्तान की झोली में गिरने को तैयार था।
पर जब राष्ट्र के नायक सरदार वल्लभभाई पटेल ने “एक भारत, श्रेष्ठ भारत” का सपना देखा, तो देश की बिखरी अस्मिता को एक करना उनका धर्म बन गया। रियासतों का एकीकरण, भारत के निर्माण की वह गाथा है, जो लोहे के हौसले, राजनीति की चतुराई और अद्वितीय धैर्य से लिखी गई।
अध्याय 1: जब भारत आज़ाद हुआ, लेकिन बिखरा हुआ था
स्वतंत्रता अधिनियम 1947 का सच
अंग्रेज़ों ने जाते-जाते भारत और पाकिस्तान दो देश बनाए, लेकिन साथ ही रियासतों को यह विकल्प भी दे दिया कि वे चाहें तो भारत में मिलें, पाकिस्तान में जाएँ या “स्वतंत्र राज्य” बनें। भारत को सौंपे गए 552 रियासतों में से 549 ने भारत से हाथ मिला लिया, लेकिन 3 रियासतें (हैदराबाद, जूनागढ़ और कश्मीर) अलग ही चाल चल रही थीं।
सरदार पटेल और वी.पी. मेनन की जोड़ी
सरदार पटेल और उनके सचिव वी.पी. मेनन ने इन रियासतों को एकजुट करने के लिए दिन-रात एक कर दिए। जहाँ जरूरी हुआ, वहाँ राजनीति और कूटनीति, और जहाँ बात न बनी, वहाँ सेना और बल का प्रयोग हुआ।
- हैदराबाद: निज़ाम ने स्वतंत्र रहने की कोशिश की, लेकिन ‘ऑपरेशन पोलो’ चलाकर 1948 में भारत में मिला दिया गया।
- जूनागढ़: पाकिस्तान में शामिल होने की कोशिश की, लेकिन गुजरात की जनता और भारतीय सेना ने इसे भारत में मिला दिया।
- कश्मीर: राजा हरिसिंह पहले तटस्थ रहे, लेकिन कबायलियों के हमले के बाद भारत से विलय किया और एक लम्बा इतिहास बना।
अध्याय 2: रियासतों को मिलाकर बना भारत का पहला नक्शा
रियासतों को मिलाकर बनाए गए भारतीय राज्यों को चार भागों में वर्गीकृत किया गया:
- भाग क (Part A) – ब्रिटिश शासन वाले राज्य, जिन पर सीधे केंद्र का नियंत्रण था।
- भाग ख (Part B) – वे रियासतें जो विलय करके संघ में शामिल हुईं।
- भाग ग (Part C) – चीफ कमिश्नरी और छोटे प्रांत।
- भाग घ (Part D) – अंडमान निकोबार जैसे विशेष क्षेत्र।
यह प्रारंभिक व्यवस्था थी, लेकिन जल्द ही भारत को यह समझ में आया कि यह सिर्फ अस्थायी समाधान है।
अध्याय 3: भाषा की पुकार और राज्यों का पुनर्गठन
धर आयोग (1948): भाषा नहीं, प्रशासन ज़रूरी
स्वतंत्रता के तुरंत बाद लोगों की मांग उठी कि राज्यों का गठन भाषाई आधार पर हो। लेकिन 1948 में गठित धर आयोग ने यह सलाह दी कि भाषा के बजाय प्रशासनिक सुविधा को महत्व देना चाहिए।
जेवीपी समिति (1949): नेहरू, पटेल, पट्टाभि का फैसला
प्रधानमंत्री नेहरू, सरदार पटेल और पट्टाभि सीतारमैया की समिति ने भी कहा कि भाषा के आधार पर राज्यों का गठन सही नहीं होगा। लेकिन जन भावना को दबाया नहीं जा सका।
अध्याय 4: एक बलिदान जिसने भारत का नक्शा बदल दिया
पोट्टि श्रीरामुलु नाम के तेलुगू नेता ने आंध्र प्रदेश की माँग को लेकर अनशन शुरू किया। 56 दिनों तक अनशन के बाद उनकी मृत्यु हो गई, और पूरे दक्षिण भारत में आग लग गई।
भारत सरकार झुक गई, और 1 अक्टूबर 1953 को बना तेलुगू भाषियों के लिए पहला भाषाई राज्य – आंध्र प्रदेश। यह वह क्षण था, जिसने पूरे भारत में भाषाई राज्यों की माँग को हवा दी।
अध्याय 5: फज़ल अली आयोग और ऐतिहासिक पुनर्गठन (1956)
1953 में केंद्र सरकार ने फज़ल अली आयोग गठित किया (अन्य सदस्य: के.एम. पन्निक्कर और हृदयनाथ कुंजुर)। इस आयोग की सिफारिशों पर:
- 1 नवम्बर 1956 को राज्यों का पुनर्गठन अधिनियम लागू हुआ।
- 14 राज्य और 6 केंद्रशासित प्रदेश बनाए गए।
यह वह दिन था जब भारत ने पहली बार अपने भाषाई और सांस्कृतिक पहचान को संवैधानिक रूप दिया।
अध्याय 6: भारत का नया नक्शा – समय के साथ बदलाव।
कुछ प्रमुख राज्य पुनर्गठन की तिथियाँ:
तिथि | घटना |
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1 मई 1960 | बंबई से महाराष्ट्र और गुजरात अलग हुए। |
18 दिसम्बर 1961 | गोवा, दमन और दीव भारत में शामिल हुए। |
1 दिसम्बर 1963 | नागालैंड बना। |
1 नवम्बर 1966 | हरियाणा का गठन और पंजाब पुनर्गठित हुआ। |
1969 | मद्रास का नाम तमिलनाडु हुआ। |
25 जनवरी 1971 | हिमाचल प्रदेश बना पूर्ण राज्य। |
1972 | मणिपुर, त्रिपुरा, मेघालय बने। |
1987 | अरुणाचल और मिज़ोरम राज्य बने। |
30 मई 1987 | गोवा पूर्ण राज्य बना। |
अध्याय 7: 21वीं सदी के नए राज्य
राज्य | तिथि | किससे अलग हुआ |
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छत्तीसगढ़ | 1 नवम्बर 2000 | मध्यप्रदेश से |
उत्तराखंड | 9 नवम्बर 2000 | उत्तरप्रदेश से |
झारखंड | 15 नवम्बर 2000 | बिहार से |
तेलंगाना | 2 जून 2014 | आंध्रप्रदेश से |
तेलंगाना आंदोलन एक लम्बे संघर्ष का परिणाम था। आंध्र प्रदेश के अंदर अलग पहचान, संस्कृति और संसाधनों के वितरण की माँग ने इसे जन्म दिया।
अध्याय 8: सबसे हालिया बदलाव – जम्मू-कश्मीर और लद्दाख
5 अगस्त 2019 – एक ऐतिहासिक दिन। भारत सरकार ने:
- अनुच्छेद 370 और 35A को निरस्त किया।
- जम्मू-कश्मीर राज्य को विभाजित करके दो केंद्रशासित प्रदेश बनाए:
- जम्मू और कश्मीर (विधानसभा सहित)
- लद्दाख (बिना विधानसभा)
दमन, दीव और दादरा नगर हवेली का विलय (2019)
एक और बदलाव में, इन तीन केंद्रशासित प्रदेशों को मिलाकर एक केंद्रशासित प्रदेश बनाया गया, जिससे 9 केंद्रशासित प्रदेश ही शेष बचे।
एक राष्ट्र, अनेक कहानियाँ
भारत का नक्शा किसी चित्रकार की कल्पना नहीं, बल्कि रक्त, आंसू, संघर्ष और दूरदृष्टि का नतीजा है। हर राज्य की रचना एक कहानी है — कहीं बलिदान की, कहीं आंदोलन की, कहीं समझौते की, तो कहीं साहस की।
सरदार पटेल ने भारत को एकसूत्र में पिरोया, लेकिन उस धागे को मजबूत बनाया आम जनमानस की भावना ने, जिसने ‘हम पहले भारतीय हैं’ यह विश्वास दिलाया।
“देश मिटा सकते हैं सरहदें, लेकिन संस्कृति, भाषा और आत्मा से बना राष्ट्र कभी नहीं मिटता।”